| सत्यं शिवं सुन्दरम् | |जय देव श्री महापना महाराज |
| सत्यं शिवं सुन्दरम् | |जय देव श्री महापना महाराज |
देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः।
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ।।
अर्थ: तुम लोग यज्ञ द्वारा देवताओं की उन्नति करो और देवतागण तुम्हारी उन्नति करें। इस प्रकार परस्पर उन्नति करते हुये परम श्रेय को प्राप्त होगे।।
श्री देव महापना, अपने प्रजा (भक्तों) के संरक्षक देवता हैं, जो सत्युग के समय से अपनी प्रजा का पालन कर रहे हैं। उनकी प्रमुख शक्तियाँ, जिन्हें हम बौड़ भी कहते हैं, माँ काली, देव बड़मू, माँ ज्वाला जी, शेडखिया जी, और झाल की शक्तियों के साथ विराजमान हैं। ये सभी मिलकर भक्तों की रक्षा, मार्गदर्शन और समृद्धि के लिए एक दैवीय शक्ति का निर्माण करते हैं।
श्री देव महापना को भक्तों के प्रति उनकी असीम करुणा और सुरक्षा के लिए जाना जाता है। वे अपने भक्तों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और उनके प्रति आस्था रखने वाले भक्त उनकी कृपा से हर संकट से उबरने की शक्ति प्राप्त करते हैं।
श्री देव महापना जी का मंदिर (देवठी) एक पवित्र स्थल है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का केंद्र है। यहाँ श्री देव महापना की प्रजा व भक्तगण अपने इष्ट, व इष्ट की पवित्र शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।
श्री देव महापना (देवठी अल्झो) अल्झो गांव में स्थित, एक पवित्र स्थल है जो कंडाघाट-चायल मार्ग पर, तहसील कंडाघाट, जिला सोलन के अंतर्गत आता है। यह स्थान डाकघर तुन्दल में स्थित है । श्री देव महापना के मंदिर की धार्मिक महत्ता और यहाँ का शांतिपूर्ण वातावरण भक्तों को गहरी आस्था के साथ आकर्षित करता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु अपनी भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान से शांति, सुरक्षा और समृद्धि की कामना करते हैं। इस पवित्र स्थल पर भक्तों को मानसिक शांति और दिव्य कृपा की अनुभूति होती है, जिससे उनका जीवन सकारात्मकता से भर उठता है।
श्री देव महापना (देवठी धरैयां पुजारली) गांव पुजारली धरैयां, कंडाघाट-चायल मार्ग पर स्थित है। यह स्थान डाकघर साधुपुल के अंतर्गत आता है और तहसील कंडाघाट, जिला सोलन में स्थित है। यहाँ की पवित्रता और धार्मिक महत्व भक्तों को आकर्षित करता है, जहाँ श्रद्धालु अपनी आस्था और भक्ति के साथ आते हैं। श्री देव महापना की कृपा से भक्तों को शांति, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
देव महापना (देवठी बिरनी) श्री देव महापना कि यह देवठी जो कण्डाघाट-चायल रोड के पास स्थित है। यह स्थान कण्डाघाट से कुछ दूरी पर बिरनी गांव में स्थित है, यहाँ श्री महापना देवता जी का बैठा राज है। यह स्थल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और श्रद्धालु व कारदार यहाँ इष्ट महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।
देव महापना: अपने भक्तों को जीवन की कठिनाइयों को पार करने के लिए बुद्धि, शक्ति और साहस प्रदान करते हैं।
माँ काली: शक्ति की प्रचंड मूर्ति, माँ काली बुराई का नाश करती हैं और मोक्ष का मार्ग दिखाती हैं, भक्तों को आध्यात्मिक जागृति की ओर ले जाती हैं।
माँ महिषासुरमर्दिनी: माँ दुर्गा का यह रूप महिषासुर जैसे राक्षसों का संहार कर, भक्तों को अधर्म और अन्याय से मुक्ति दिलाता है। यह शक्ति भक्तों के भीतर साहस और पराक्रम का संचार करती है, ताकि वे अपने जीवन में आने वाली बाधाओं का साहसपूर्वक सामना कर सकें।
देव बड़मू: प्रकृति की शक्ति के रूप में, देव बड़मू रक्षा का प्रतीक हैं और उनके भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
माँ ज्वाला जी: माँ ज्वाला जी की अनंत ज्योति दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
महावीर: जिन्हें हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्रावतार के रूप में पूजनीय हैं।
देव वाणी से "जैसा मैं हूं, वैसा ही मेरा महावीर है" जिसका अर्थ है कि भगवान शिव का रूप और उनके आशीर्वाद का स्वरूप महावीर (हनुमान जी) में पूरी तरह से विद्यमान है। हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है और उनका नाम प्रत्येक भक्त के दिल में आस्था और भक्ति के साथ अंकित है।
हनुमान जी की पूजा से न केवल शारीरिक शक्ति मिलती है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्राप्त होती है। उनका नाम लेने से कठिन से कठिन समस्याएँ भी हल हो जाती हैं और भक्तों को हर मुश्किल से उबारने का सामर्थ्य प्राप्त होता है।
यह वाक्य श्री महापना महाराज जी के दिव्य और अद्वितीय रूप को व्यक्त करता है, जो भक्तों के लिए शांति, सुरक्षा और समृद्धि का स्रोत है। श्री महापना जी की वाणी में वही शक्तियां और आशीर्वाद समाहित हैं, जो भक्तों को उनके जीवन में संतुलन और दिव्यता का अनुभव कराते हैं।
शेडखिया जी: ये सफेद वस्त्र धारण किए हुए और सफेद घोड़े पर विराजमान हैं, जो श्री देव महापना के बौड़ हैं और पवित्रता तथा दिव्यता का प्रतिनिधित्व करते हैं। संकट के समय, भक्त इन्हें अपने रक्षक के रूप में अनुभव करते हैं।
झाल: श्री देव महापना के सानिध्य में यह प्रबल शक्ति नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करती है और पवित्र स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
एक कथा के अनुसार, ये सभी वे गण हैं जो कभी श्री शिव भगवान जी की बारात में आए थे और किसी कारणवश यहीं रह गए। बाद में, जब किसी अन्य स्थान से इन्हें देश निकाला दिया गया, तो श्री देव महापना ने उन्हें अपनी शरण में लिया और अपनी शक्ति से बाँध दिया, अतः वे सभी आज श्री देव महापना गण के रूप में विराजमान है ।
इन सभी शक्तियों का एकत्रित प्रभाव एक मजबूत और पवित्र सुरक्षा कवच का निर्माण करता है। यह कवच भक्तों को विपत्तियों से बचाता है और उनके जीवन में समृद्धि लाने में सहायता करता है। ये शक्तियाँ श्री देव महापना जी ने अपनी दिव्य शक्ति से बंधी हैं, जो उनकी कृपा और संरक्षण का प्रतीक हैं। भक्तों की आस्था और भक्ति के कारण यह सुरक्षा कवच और भी प्रबल होता है, जिससे भक्त हर प्रकार की कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं। यह कवच न केवल भौतिक सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन भी सुनिश्चित करता है।
देव महापना की कथा हमारे पूर्वजों की संस्कृति और परंपराओं में गहराई से जुड़ी हुई है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है। और हमारे समुदाय के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति हैं, जो सभी को विश्वास और भक्ति के माध्यम से एकजुट करते हैं। उन्हें समर्पित मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है, जो दूर-दूर से भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है।